विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस- मन को स्वस्थ रखने की यात्रा

आजकल प्रत्येक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से जुझ रहा है, ये समस्याये व्यक्ति के जीवन तथा उनके रोज़ाना काम में बाधा उत्पन्न करते है| ये मानसिक स्वास्थ्य हमारे संवेगात्मक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण को प्रभावित करते है, जो यह निर्धारित करते है कि हम कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और तनाव को संभालते हैं। यह हमारे रिश्तों और निर्णय लेने की क्षमता पर भी प्रभाव डालता है। जिस तरह शारीरिक बीमारियाँ होती हैं, उसी तरह मानसिक स्वास्थ्य बीमारियाँ भी होती हैं, जैसे- चिंता, अवसाद, द्विध्रुवी विकार और PTSD। ये समस्याएँ तनाव, दर्दनाक घटनाओं, आनुवंशिक प्रवृत्तियों और बचपन के आघात जैसी स्थितियों से उत्पन्न हो सकती हैं अत्यधिक स्मार्ट फोन का उपयोग करने तथा नशा करने से व्यक्ति के व्यवहार मे नकारात्मक परिवर्तन पाया जाता है जिससे उनमें मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित बीमारी उत्पन्न हो जाती है,

जिनका इलाज चिकित्सा, दवा और समर्थन से संभव है। मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण प्रत्येक व्यक्तियो में समस्या के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे- घबराहट, ध्यान की कमी, छोटी-छोटी बातों से आसानी से चिढ़ जाते हैं, नाराज़ महसूस करते हैं, या परिवार, दोस्तों या सहकर्मियों के साथ अक्सर बहस करते हैं। इससे प्रियजनों से अलगाव की भावना पैदा हो जाती है, जिससे वह अकेलापन महसूस करते हैं और संभावित रूप से निराशा महसुस होती हैं।

डॉ. मुनमुन लेपचा (काउंसलर) बताती हैं की, आत्म-देखभाल (Self-care), सुबह की सैर, योग और ध्यान जैसी नियमित शारीरिक गतिविधि, संतुलित आहार, और पर्याप्त नींद, मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हैं। इसलिए, हमें मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में काम करना चाहिए जहाँ लोग सुरक्षित महसूस करें और ज़रूरत पड़ने पर मदद माँगने के लिए सशक्त महसूस करें। । यदि व्यक्ति को इन उपायों से आराम नहीं मिल पाता है तो उन्हें मनोचिकित्सक या काउंसलिंग की मदद लेनी चाहिए।

 

डॉ. मुनमुन लेपचा

काउंसलर

साइकी वेलनेस

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